DEPARTMENT OF SANSKRIT
Introduction
Course Outcomes B.A
Course Outcomes M.A
Faculty
Gallery
BA-Ist SEMESTER
DSC-1
( Sanskrit Poetry)
1. रघुवंश
2. शिशुपालवध
3. नीतिशतक
4. संस्कृत काव्यशास्त्र का इतिहास
उद्देश्य
- रघुवंश महाकाव्य के द्वारा सूर्यवंशी राजाओं के उच्च आदर्शों द्वारा छात्र-छात्राओं के जीवन में उच्च आदर्श स्थापित करना है।
-शिशुपालवध महाकाव्य के माध्यम से छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा दी गई कि भगवान् भी यदि मानव देह धारण करते हैं तो उच्च आदर्श स्थापित करते हैं तथा पूर्ण रूप से कर्मनिष्ठ रहते हैं।
BA-IInd SEMESTER
DSC-2
( Sanskrit Prose)
1. शुकनासोपदेश
2. शिवराजविजय
3. संस्कृत साहित्य में गद्य का परिचय
-शुकनासोपदेश में सामाजिक परिदृश्य, राजनीतिक विचारो का वर्णन है।
-शिवराजविजय के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा तथा लंबे संघर्षों की विपरीत परिस्थिति में भी कैसे अडिग रहना आदि प्रकरण के माध्यम से छात्र-छात्राओं को बोध कराना।
- संस्कृत गद्य लेखन परम्परा तथा संस्कृत गद्य साहित्य से छात्रों को परिचित कराना जिससे वे सभी गद्य लेखन की इस परम्परा से विदित हो सकें।
BA-IIIRD SEMESTER
DSC-3
1. प्रतिमानाटक
2. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
3. संस्कृत नाट्य साहित्य का इतिहास
-भास रचित प्रतिमानाटक के माध्यम से छात्र-छात्राओं में नाट्य परम्परा एवं वर्णित विषयों का ज्ञान कराना।
-छात्रों का बौद्धिक विकास करना।
-छात्रों को स्वधर्मपालन तथा सत्यनिष्ठा हेतु प्रेरित करना।
-अभिज्ञानशाकुन्तल नाटक के माध्यम से छात्रों में सुविचारों तथा उच्च आदर्शों को स्थापित करना।
BA-IVTh SEMESTER
DSC-4
1. लघुसिद्धान्तकौमुदी (संज्ञा प्रकरण)
2. सन्धि प्रकरण
-व्याकरण के माध्यम से छात्र-छात्राओं को स्वर, व्यंजन, सन्धि, विभक्ति, प्रकृति, प्रत्यय तथा समास आदि का ज्ञान कराना।
-व्याकरणिक शब्द सम्बन्धी त्रुटियों का निस्तारण करना।
-व्याकरण में आये हुए कठिन शब्दों का अभ्यास कराना।
BA-VTh SEMESTER
DSE-I
( Phylosophy, Religion and Culture in Sanskrit Tradition)
1. धर्म
2. संस्कृत और पुरूषार्थ
3. स्वधर्म
उद्देश्य
-इस प्रश्नपत्र के अन्तर्गत भगवान् का स्वरूप, भक्तिभाव में डूबा भक्त, शास्त्रों में बताये धर्म के दस लक्षणों, उनका स्वरूप, सत्य की परिभाषा, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, पंचमहाभूतयज्ञ, देव, पितृ, ऋषि आदि ऋण मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ और ईश्वर रचना, भगवान की लीला और कृपा, दैव बनाम पुरूस्कार, अदृष्ट, प्रारब्ध कर्म का उल्लेख करके छात्रों को इससे अवगत कराना है। जिससे इन्हें समझकर वे समाज को सही दिशा प्रदान कर सकें।
BA-VITh SEMESTER
DSE-3
( Literary Criticism)
1. काव्यप्रकाश, काव्यप्रयोजन
2. काव्यप्रकाश-काव्य कारण
3. काव्यप्रकाश-काव्यस्वरूप एवं काव्यभेद
उद्देश्य
-काव्यप्रकाश के माध्यम से छात्र-छात्राओं को काव्य के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान कराके काव्य साहित्य ज्ञान एवं काव्य से होने वाले प्रयोजन , काव्य का हेतु, काव्य का स्वरूप आदि में काव्य के इन बिन्दुओं को समझाकर काव्य का ज्ञान कराना।
छात्र-छात्राएं क्या प्राप्त करेंगी
भारत की विशाल सांस्कृतिक परम्परा से परिचित होंगे। भारत की संस्कृति, सांस्कृतिक गाथा, भारत के गौरव एवं प्राचीन भारत में उपलब्ध विविध प्रकार के ज्ञान-विज्ञान से परिचित होंगे। संस्कृत के अध्ययन स प्राचीन भारतीय संस्कृत के ग्रन्थों के अध्ययन से रूचि उत्पन्न होगी एवं उनके अनुवाद की ओर अग्रसर होंगे। इससे न केवल भारत के विविध ज्ञान-विज्ञानपरक ग्रन्थों से परिचय होगा अपितु उससे आधुनिक समाज किस तरह लाभान्वित हो सकेगा, यह प्रयास रहेगा। सारा विश्व कैसे एक कुटुम्ब की तरह रह सकेगा। वेदमंत्रों में निहित समानता के इन वाक्यों का गहन मन्थन कर वर्तमान समाज में इसे लागू कैसे किया जाय इस पर छात्र-छात्राओं का ध्यान रहेगा। वे न केवल अपने देश की संस्कृति से अवगत हो सकेंगे अपितु अपनी संस्कृति की छाप अन्य विदेशी संस्कृति को भी प्रभावित करने की क्षमता धारण कर सकेंगे जैसा कि पूर्व में स्वामी विवेकानन्द, रामतीर्थ आदि महात्माओं ने किया।
|